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खुद्दारी पे आँच आने न पाए!

खुद्दारी पे आँच आने न पाए!
      
दीमाग  पर   अंधेरा  जमने  न  पाए,   
यादों का मेला  ओझल होने न पाए।  
ख्वाहिशों  का  कोई अंत  नहीं भाई,    
माता-पिता की हबेली बिकने न पाए।  

एक जहां है  इस  जहां के और आगे, 
उस जहां का धन  राख  होने न पाए।  
अपने हुनर से दो पैसे जरूर कमाओ,    
तेरे  उसूलों  का  फूल  झरने  न पाए।     

बनों  तो  सादे  दिल  का  इंसान  बनों,     
आज के जमाने की हवा लगने न पाए।  
जिन्दगी एक  साज है,  इसे छेड़ा करो,  
तन्हाई  की छाया  इसे  डसने  न पाए।  

तुम  काले  हो या  गोरे, इसे  छोड़ दो,  
मन के आईने में सूरत बिगड़ने न पाए।  
मत तोड़ो रिश्ता,गिला किससे करोगे?
आँख  का  तराजू  कभी टूटने न पाए।  

मत निभाओ तुम अपने जीने की रस्म, 
देखो  खुद्दारी  पे  आँच आने  न  पाए।  
वक्त की  शाख  लचलती है तो  लचके,  
बदन की सिलवट पे दाग लगने न पाए।

रामकेश एम.यादव (कवि,साहित्यकार) मुंबई

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6 Comments

Gunjan Kamal

05-Jan-2023 04:38 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Raziya bano

05-Jan-2023 02:01 PM

शानदार

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Abhinav ji

05-Jan-2023 08:05 AM

Nice

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